रौतिया को ST अनुसूचित दर्जा की मांग (rautiya ST reservations)

कोई भी जाति अनुसूचित जनजाति में तीन तरीके से शामिल हो सकती है 
1.एक स्वतंत्र जाति के तौर पर 
2.उपजाति/उपजनजाति के तौर पर
3.भौगोलिक घटना के कारण जगह विशेष  से दूरी हुए समुदाय 
रौतिया समाज द्वारा एक स्वतंत्र जाति के तौर पर ST (अनुसूचित जनजाति ) में शामिल होने के लिए बहुत बार प्रस्ताव भेजा जा चूका है ,हर बार RGI रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया जाता है ।
RGI द्वारा 2 बार लगातार अस्वीकृत करने पर तीसरी बार सिर्फ नये शोध करने के बाद ही प्रस्ताव पुन RGI को भेजा जा सकता है । रौतिया समाज को हर बार निराश होना पड़ा और अब दुबारा एक स्वतंत्र जाति के तौर पर प्रस्ताव नही भेजा जा सकता है इसलिए अखिल भारतीय रौतिया समाज द्वारा एक शोध करवाया गया ,2014 में झारखण्ड जनजाति मंत्रालय द्वारा शोध हुआ जिसमें एक सोची समझी चाल के तहत रौतिया जाति को चेरो की उपजाति बताया गया ,शोध में भरपूर कोसिस की गयी रौतिया जाति एक चेरो की उपजाति लगे , शोध होने के बाद पुनः 2016 में झारखंड सरकार द्वारा प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया पर फिर से दुबारा RGI द्वारा2017 में  प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया । जब प्रस्ताव भेजा गया उस समय कुछ लोगो ने असवैधानिक तरीके से जाति प्रमाण पत्र खूंटी में बाँटने सुरु कर दिए थे ,अखिल भारतीय रौतिया विकास परिसद के सदस्यो द्वारा ही सर्वसहमति से रिपोर्ट भेजा गया था लेकिन रिजेक्ट होने के बाद कुछ लोगो ने इसका विरोध किया और जिला अधिकारी को पत्र लिखकर असवैधानिक तरीके से बनने वाले अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र को बंद करवाने का निर्देश जारी किया ,तभी एक नई राजनीती का जन्म रौतिया समाज में सुरु हुआ और कुछ लोग मिलकर रौतिया को एक नया नाम दिए चेरो रौतिया कहकर ,कई जगहों में चेरो जाति के स्वतंत्र सेनानी मेदनीराय के चौक बनवाये गये ,गुमला में चेरो रौतिया का आयोजन हुआ जिसमें खूंटी तोरपा रानिया बसिया के रौतिया परिवारों से चंदा लिया गया था ,बाद भी खूंटी के जिला आवास का घेराव किया गया ,चन्द कुछ लोग जो अपने आप को चेरो कहने लगे उन्होंने मिलकर एक बार अखिल भारतीय रौतिया समाज के केंद्रीय अध्य्क्ष रामशंकर सिंह ,प्रान्त अध्य्क्ष लालदेव सिंह का पुलता फूंक दिया ,पहले सभी लोग एक साथ एक सुर में रौतिया को चेरो की उपजाति बता रहे थे पर RGI के अस्वीकृती के बाद अखिल भारतीय रौतिया विकास परिसद के लोग मौन रहे ,लेकिन एक अलग समुदाय बना जो खुद को चेरो की उपजाति बोलकर लोगो को गुमराह करने लगे ,क्यों की उनको आम जनता का साथ चाइये था जिससे वो एक राजनीति पारी खेल सकें ,रौतिया समाज को st आरक्षण की मांग ने धीरे धीरे काफी कमजोर कर दिया है ,लोगो का मनोबल ,एकता बिखर चुकी है ,क्योंकि कई सालो से लोगो को भरोशा देकर उनसे चन्दा लेकर उनके विस्वाश को तोड़ा गया ,,

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