Rautia village and the real facts
#रौतिया_गांव_घर_और_परिवार,#पूरा_पढ़े
हम 99% रौतिया परिवार गांवो में रहते हैं ,कई गांव सड़क किनारे होते हैं तो कई गांव जंगलो के बीचों बीच ,सभी के घर कच्चे मिट्टी से बने होते हैं जिन्हें खपरैल घर भी कहा जाता है , कई सालों पहले तक लोग अपने अपने घरों को लाल मिट्टी से रँगते थे बाद में जंगलो से चुना मिट्टी निकाल कर थोड़े सफेद रंग से घरों की पुताई करने लगे , सभी घरों में गोबर से ही लिपाई होती है ,आज भी कई घरों में लकड़ी के चूल्हे में ही खाना बनाया जाता है , घर पर कोई अतिथि रिश्तेदार आ जाने पर अब तो प्लास्टिक खुर्शी बैठने दिया जाता है पर पहले चटाई ,या कपड़े बिछा दी जाती थी जिसे लेदरा भी कहते हैं ,घर में रहने वाले पुराने बुजुर्ग महिलाओ में आदर ,सम्मान ,सत्कार ,भाव काफी होते थे ,उनके पैरो हाथो में कई डिजाइन बने होते थे जिसे आजकल लोग आधुनिक युग में टैटू कहते हैं ,कानो में बड़े बड़े करंज फूल बाली ,गले में सिल्वर का गोल सा हार ,हाथो में भी अलग किस्म की चुड़ी , घर के बुजुर्ग ज्यादातर पढ़े लिखे नही होते थे मगर काफी समझदार, आदर ,प्रेम ,भाई चारा रखते थे ,साथ में रिश्ते मान मर्यादा भी जानते थे ,
रौतिया समाज एक खेतिहर परिवार रहा है जिसमे ज्यादातर धान की खेती करते हैं ,पहले धानों को ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखने के लिए मोरा बांधा जाता था जोकि पुवाल से रस्सी बना कर गोल घेरे में धान रखा जाता था ,उसके बाद बांस का बनाया हुआ छटका का इस्तेमाल होने लगा ,लेकिन अब पुरानी विधि ख़त्म होकर आज लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं जो काफी टिकाऊ और सुरक्षित होता है ,,चूंकि रौतिया परिवार में धान की खेती ज्यादा होती है इसलिए चावल से कई तरह के पकवान रोटी बनाये जाते हैं ,सभी रौतिया घरों में चावल से बना चिरका रोटी ,खपड़ा रोटी ,डटा पीठा रोटी अईरसा रोटी प्रचलित है , आज भी कई मौकों पर इस तरह के रोटी बनाये जाते हैं , पहले जब बिजली गांवो में नही होती थी तो लालटेंन ,या डीबरी से रात में काम चलाना पड़ता था , पहले गांवो में आज जैसी सुविधाएं नही थी ,घर के लोग पढ़े लिखे भी नही थे ,लेकिन पूरा परिवार एक साथ रहता था ,सभी लोग मेहनत करके गांवो में भाई चारे से रहते थे ,मान मर्यादाओं को समझते थे ,अभाव में भी सबकुछ अच्छा था ,,,,,,,,,आज तो गांव में सारी सुविधाएं हैं ,हर घर में पढ़ा लिखा व्यक्ति है फिर भी आज सभी परिवार कई भागों में बंट गया है , गांव में एकता ,भाई चारा न के बराबर है , आज के पढ़े लिखे बच्चे तो ,आदर सत्कार बड़ो का मान सम्मान सबकुछ भूल गए हैं , एक रौतिया गांव और परिवार को कई चीजों ने बर्बाद कर के रख दिया है ,आज तेजी से रोजगार के नाम पर घर घर दारू बनाये जा रहे हैं ,बच्चे भी खूब पी रहे हैं ,पुरखा पाट के जमीनों को बेच कर पेट पाल रहे हैं ,और एक दूसरे परिवार से ही कट्टर दुश्मनी रख रहे हैं ,हर घर में युद्ध जैसा माहौल बना हुआ है , गांव के लड़के मुश्किल से 10वी तक पढ़ते हैं फिर काम करने बाहर के शहरों में चले जाते हैं , लडकिया कॉलेज तक सिर्फ अच्छा लड़का पाने के लिए पढ़ती हैं और शादी हो जाती हैं ,, कुछ सालो में हर रौतिया गांव में कई लड़कियां माँ बाप को शर्मिंदा करके भाग गई हैं और कई रौतिया लड़के अन्य जातियों की लड़की घर लेकर आ गए हैं , आज सबसे ज्यादा जो घर का मान सम्मान एक लड़की होती वो पढ़ाई के नाम पर बाहर रहती है और सारे गलत काम करती है फिर किसी तरह शादी होने पर कई परिवार को तबाह कर के रख देती हैं ,,,,,हमने अपने आप को बिगाड़ा ,अपने चरित्र को गिराया ,तभी पूरा परिवार गरीब और पिछड़ा बना,तभी हमारा समाज दरिद्र बना, ,,,
आज कई परिवार गांव को छोड़ छोटे शहरों में रहने लगे हैं पर उनके व्यहवार से लगता है जैसे देश के प्रधान मंत्री बन गए हों ,यानि की लोगो में अहंकार ,घमंड ,दिखावा कूट कूट के भरा है ,जिसके कारण गांव तो बर्बाद हो ही रहे साथ में लोग भी निर्बल ,निर्धन हो रहे हैं,,,
आज इस युग में जहाँ दुनिया नए तरक्की करके आसमान तक पहुँच गयी वही दूसरी तरफ हमारा समाज हमारा गांव, बेबस ,लाचार ,निर्बल होकर जिंदगी जी रहा है ,पर भी व्यक्तियों के अंदर से अहंकार, जूठा दिखावा बिलकुल नही गया ,,,,गांव में परिवार में पुराने बुजुर्ग अब नही रहे ,आज नई पीढ़ी ,नया युग का परिवार बन गया है ,जहाँ परिवार,रिश्ते टूट ,बिखरे हुए हैं ,माँ बाप शराबी बेटा भी शराबी हो गए हैं,फोन का गलत इस्तेमाल कर लड़का लड़की इधर उधर फँसे पड़े हैं ,अब पहले जैसा न घर रहा न गांव ,न ही परिवार ,,,मैंने जो लिखा है वो आँखों से देखा है ,लेख लम्बा न करते हुए यही पर शब्दो को विराम देता हूं ,,धन्यवाद
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