चरण स्पर्श पाएं लागू गोड़ लगी

#चरण_स्पर्श_पाएं_लागू_गोड़_लगी।

हमार भारत देश संस्कार एवं संस्कृति प्रधान देश हय, हिंया आपन गुरू तथा आपन से बड़े बुजुर्ग मनकर गोड़ लगेक कर परंपरा सादियो से चलते अवत हय। गोड़ लागेक सिर्फ गोड़ के छुवेक नई बल्कि बड़ मन से आशीर्वाद लेजेक होवेला, बड़ मनकर सम्मान करेक होवेला।
लेकिन एखन पश्चिमि संस्कार एवं संस्कृति (Western Culture) कर प्रभाव आधुनिकता कर नांव से हमार भारतीय संस्कृति में बहुत ज्यादा बुरा असर डालेक लइग गेलक। हमार हिंदुस्तानी संस्कृति के बहुत कोई मजाक या हंसयापद बनाए देई हयं और एहे उ कारण हय कि एखन कर हिंदुस्तानी युवा वर्ग आपन ही संस्कृति संस्कार कर विशेषता के न जानेक सकथे आउर न ही मानेक सकथे।

चारण स्पर्श/ पाएं लागू (हिंदी में), गोड़ लागी (हमार सदानी/नागपुरी में) करेक कर धार्मिक आउर वैज्ञानिक विशेषता आउर लाभ आइज हमीन हमार युवा भाई बहीन मनके जानकारी देई के समझाएक कर कोशिश करब। सायद आपन संस्कृति कर विशेषता कर बारे सही जानकारी कर अभाव में ही हमार युवा वर्ग कर बीच से बहुत सारा परंपरा संस्कृति छुटते जा थे।
◆जब हम आपन से बड़े कर गोड़ लगील तो हमीन के आशीर्वाद प्रदान करल जाएल। इ बड़े मनकर प्रति आदार,सम्मान तथा विनम्र के दर्शाएला।
◆ बड़ मनकर गुण राउर मन भीतरे समाएला।
◆आदमी मनकर अहंकार के नष्ट करेला आउर एक आदमी के विनम्र बनाएला।
अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखल जाए तो गुरूत्वाकर्षण कर नियम अनुसार गोड़ लगेक (चरण स्पर्श) करेक से हमार देह (शरीर) में ऊर्जा कर प्रवेश होवेला का ले कि इ ऊर्जा गोड़ कर उंगली आउर हाथ कर उंगली में विद्यामान रहेला ओहे ले लेंगा (बांया) हाथ से लेंगा गोंड़ आउर दाहीना हाथ से दाहीना गोड़ के स्पर्श करल जायला।
बड़ मनकर चरण स्पर्श (गोड़ लगेक) से आयु,विद्या ताथा मान-सम्मान में वृद्धि होवेला, आदमी कर मन शांत रहेला आउर बल बढ़ेला। अगर कोई आपन आपन लक्ष्य के ध्यान में रइख के अगर गोड़ लइग के बड़ मनकर आशीर्वाद लेवैना तो उ आपन लक्ष्य तक पहुंचेक ले हिम्मत हौंसला आउर मनोबल पवैना।
अगर इके शरीरीक दृष्टि से देखल जाए तो जब हम गोड़ लगील तो हमार रीढ़ हड्डी कर कसरत होई जाएल, मुंड़ी (सिर) में खून प्रवाह कर संतुलन होवेला और देह लचीला होवेला। जब हम बड़ मनसे गोड़ लइग के आशीर्वाद लेवील तो उ मन हमनी के उर्जा प्रदान करैना, हमार आपन मन निर्मल होवेला, पुण्य में बढ़ोतरी होवेला, बुद्धि, विद्या, यश बढ़ेला।
अगर हम सब चाहील की हमार घर परिवार कर छाउवा मन संस्कारी गुणवान बनोक तो हमार संस्कृति कर विशेषता कर बारे बताएक भी जरूरी हय, तभी एक छाउवा आपन संस्कृति कर विशेषता के जानी तभी अपनाई आउर आपन संस्कृति कर प्रति सम्मान भाव रखी, का ले कि एक संस्कारी आउर गुणवन छाउवा ही आगे जाए के एक आच्छा इन्सान बइन सकेला आउर एक आच्छा इन्सान ही आच्छा परिवार और एक आच्छा समाज आउर आच्छा देश कर निर्माण कइर सकेला।
हमार छोट सा कोशिश अगर इकर कुछ आउर भी विशेषता हय तो राउरे हमार कमेंट बॉक्स में जानकारी देई देवब ताकि होवेक सकेल हमार से कुछ छुईट जाए होवी तो राउर मन कर कारण आउर भी जानकारी हमार भाई बहीन मन तक पहुंची।
#जय_भवानी_जय_रौतिया_जय_भारत।
संग में झारखण्डी जोहार 🙏🙏🙏

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