ढेकी स्वदेशी मशीन
#सभी_रौतिया_भाई_बहन_पढ़े
इस स्वदेशी परम्परागत मशीन का नाम है ढेकी । सभी रौतिया गांव और परिवारों में इसका खास उपयोग और महत्व था ,इस ढेकी से चावल, गेहूं ,कई तरह के अनाजो को पिसा जाता था ,इस ढेकी में एक छोर को पैर से दबाया जाता था ,दूसरे छोर में लोहे का गोल सा समान लकड़ी के साथ लगा रहता था ,उस लोहे के द्वारा ही अनाज की पिसाई होती थी ,,,,पहले जमाने में आधुनिक मशीने लोगो के पहुँच से काफी दूर थे ,सभी परिवारों में इस ढेकी से ही अनाज पीसे जाते थे ,यह ढेकी एक वैज्ञानिक आधार से भी काफी लाभदायक था ,इसके द्वारा पीसे हुए अनाज में पोषक तत्व की मात्रा काफी होती थी और पोषक तत्व बरकरार होते थे ,,सुबह उठ कर ही घर की महिलाएं पैरो से ढेकी के एक छोर में दबाव देते और दूसरे छोर से वो अनाज को पिसता था ,इस प्रक्रिया में महिलाओे का शारीरिक कसरत भी हो जाता था,क्यों की इससे ब्लड सर्कुलेशन काफी अच्छा होता था और कई बीमारियों से हमे सुरक्षित करता था,,,,हाथ के द्वारा भी चक्की से अनाज पीसे जाते थे जिसका फायदा महिलाओ को गर्भपात के दौरान काफी फायदा मिलता था ,क्यों की चक्की को हाथ से गुमाने पर सीधे तौर पर पेट के आंतरिक भागो का कसरत हो जाता था ,, पारम्परिक स्वदेशी मशीनों के कई वैज्ञानिक फायदे होते हैं । समय के बदलाव और आधुनिक मशीने के आने से, अब न तो ढेकी की आवाज़ कही सुनाई देती है न किसी के घर में अब होगा ,अब आटे ,चावल ,दाल सबकुछ मशीनो से ही पीसे जाते हैं ,,,,,,,,,पहले सभी लोगो के घर में ढेकी के लिए एक विशेष कमरा होता था ,जब ढेकी से पिसाई होती तो दूर से ही आवाज सुनकर पता चल जाता था, अब यह ढेकी सभी घरों से निकल चुके हैं ,अब यह सिर्फ परम्परागत स्वदेशी मशीन म्युजियम की शोभा बढ़ाते हैं ,,,वक्त बदला ,समय बदला, जीने के तौर तरीके बदले ,अब इंसान सभी कामो को आधुनिक मशीनों से आसान कर दिया है ,अब किसी प्रकार का कार्य को पूरा करने में शरीर का बल नही लगता बल्कि सिर्फ हाथो से बटन दबाने पर कार्य पूरा जाता है ,,,,, इंसान ने जब जब अपने जीवन में सुख सुविधा के लिए मशीनों के इस्तेमाल से आसान बनाया तब से कई बीमारियां भी लोगो को ज्यादा होने लगी हैं ,आज घरों की महिलाये सबसे ज्यादा मोटापा का शिकार हो जाती हैं ,कई बीमारियां उनको घेर लेती हैं , पहले जमाने में जितने में स्वदेशी मशीने थी सभी प्रकति और शरीर के अनुकूल थी जिसके कारण लोगो का सेहद भी काफी अच्छा होता था और लोग काफी मेहनती भी थे, ,,अब यह ढेकी इतिहास के पन्नो में दर्ज होगी और म्युजियम के किसी कोने में पड़ी रहेगी ,,,,,अगर मेरी लेख अच्छी लगी तो शेयर ,लाइक जरूर करें
जय हिंद
Comments
Post a Comment