गांव का जीवन और महिला का संघर्ष

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आज मैं गांव के जनजीवन में महिलाओं के कार्यो के बारे जिक्र करने वाला हूँ ,एक परिवार और घर में एक माँ ,एक स्त्री का अहम रोल होता है ,वो घर की लक्ष्मी होती हैं , हमारे रौतिया परिवारों में महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक पुरे दिन घर का काम से लेकर खेतो का काम भी बखूबी करती हैं ,गांव में सबसे पहले ,सुबह उठ कर  घर की  माताएं बहने घरों में आँगन में झाड़ू लगाती हैं ,उसके बाद घर के सारे गंदे बर्तन धोती हैं ,कुँए और नलकूप से पिने का पानी लाती हैं ,फिर पुरे परिवार के लिए खाना बनाती हैं ,पुरे घर में बच्चो से लेकर खाने पीने की सारी जिमेवारी एक माँ में होती है ,,,ज्यादातर रौतिया परिवारों का घर कच्चे मिट्टी से बना होता है इसके कारण समय समय पर गोबर से लीपना भी पड़ता है ,घरों में लिपाई पुताई कर साफ़ सफाई करनी पड़ती है ,अगर एक गांव में महिला का पूरा जीवन देखेंगे तो संघर्ष और मेहनत से भरा होता है , पुरे घर को खाना खिलाने के बाद ही घर की माताएं खाना खाती हैं, ये हमारे परिवारों के संस्कार हैं, ज्यादातर पति पत्नी में बोलचाल संवाद बहुत ही इज्जत के साथ आउ चलु का प्रयोग होता है ,एक दूसरे को सम्मान देकर बातचीत होती है ,,एक माँ पुरे घर की ममता से भरी मान मर्यादाओ की मूरत होती है ,एक माँ पुरे परिवार की इज्जत मान सम्मान होती है ,एक माँ भगवान स्वरूप जननी होती है ,,,आज मै आप या कोई भी ,सभी लोग माँ के आँचल में पले बड़े हैं, हम सभी को बचपन से    माँ ने धुप से ,बरसात से ,ठण्ड से ,सभी जगहों में सुरक्षित रखते हुए बड़ा किया है ,,माँ इस दुनिया की जीती जागती भगवान हैं ,  आज अगर किसी भी घर में ,इस माँ इस स्त्री का सम्मान नही होगा तो पूरा परिवार दुःख में दिन काटेगा,,एक माँ एक स्त्री सिर्फ दुसरो की खुशी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है ,पूरा प्यार सिर्फ दुसरो की खुशी के लिए  लुटाती है ,अपने कई सपनो को भूल कर सिर्फ अपने परिवार के लिए जीती है ,,,आज लाख लोगो को समझाओ ,आज कितनी बार भी लोगो को माँ के ममता ,प्रेम के बारे बताओ, फिर भी आज माँ का उतना सम्मान नही हो रहा है ,,आज माँ जब बूढ़ी हो जाती है ,तो परिवार वाले खुद उनके साथ अच्छा behave नही करते हैं,, खाने तक के लिए उनको कई बार मोहताज रहना पड़ता है ,,,मैंने खुद आंखो से ऐसी कई माँ देखी है जिन्हें बुढ़ापे में घर से अलग कर दिया जाता है ,वो किसी तरह बृद्धा पेंशन से जीवन जीने पर मजबूर हो जाती है ,,एक माँ अपने बच्चे को इतने प्यार से दुलार से पाला पोसा ,लेकिन बुढ़ापे में वही बच्चे माँ को घर से निकाल देते हैं,उसकी सेवा नही करते हैं,  ,,सभी लोगो के जीवन में वो पल आएगा जब हमें भी बुढ़ापे का सामना करना पड़ेगा और हम जो बीज बोएंगे वही काटना होगा ,,जैसी करनी वैसी धरनी ,,,एक महिला का जीवन ज्यादातर दुःख में होता है ,आज तो घरों में मार पीट गाली गलौज ,सास ससुर ,परिवारिक झगड़े ,कई तरह के चीजो से एक महिला को सामना करना पड़ता है,,,मै बार बार आज की पीढ़ी के उन बहनो और भाइयो से गुजारिश करता हूँ की आपको भी परिवारिक जीवन जीना होगा ,इसलिए प्रेम संस्कार ,मान सम्मान ,बनाये रखे अन्यथा आपके बच्चे भी बुढ़ापे में आपको घरों से निकाल देंगे,बुढ़ापे में दाने दाने के लिए मोहताज बना देंगे,,खास करके बहनो से कहना चाहूंगा कि आपकी इज्जत आपकी मान मर्यादा पुरे समाज पुरे परिवार की इज्जत है ,अगर आप अपने चरित्र को अच्छा नही करती हैं तो कई पीढ़ी के नस्ल ख़राब हो जाएंगे ,,विचार करें जय हिंद

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