West Bangal Rautia samaj
#17_Nov दिनांक रविवार को पश्चिम बंगाल के डुवार्स के मालबाजार शहर में सदान रौतिया समाज की चिंतन बैठक सभा की गयी। इस बैठक में असम प्रदेश सदान रौतिया समाज संस्कार समिति के प्रतिनिधि अध्यक्ष- रायचंद्र सिंह, राजू सिंह रौतिया, बीजू सिंह रौतिया, पुतूल रौतिया इत्यादि शामिल थे। प.बंगाल सदान रौतिया समाज की ओर से कृष्णा सिंह रौतिया, दिनेश सिंह, पुसा सिंह रौतिया, रामानंद सिंह इत्यादि उपस्थित थे। इस बैठक सभा में समाज के विभिन्न विषयों पर चर्चा की गयी और उस पर पहल करने की बात कही गयी।
जिसमें मुख्य विषय था- समाजिक एकता को मजबुत करना समाज में भाईचारा बनाना, अपनी सदानी यानी सादरी भाषा संस्कृति का संरक्षण करना इत्यादि मुख्य विषय था जिस पर पहल किया जाएगा। श्री दिनेश सिंह ने कहा कि जिस तरह असम बंगाल में हम सदानों की भाषा संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा आदिवासी संगठनों के नेताओं द्वारा उसे देखते हुए हम सदानों को एकजुट होकर आगे आना होगा और हम सदानों की मातृभाषा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना होगा,आदिवासी संगठनों के नेताओं को बार बार सादरी को आदिवासीयों का भाषा बताना बंद करना होगा,,, हमें बताना होगा कि सादरी आदिवासीयों की नहीं हम सदानों की मातृभाषा है और हम अपनी भाषा संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। हमारे सदान लोगों के साथ और सदानों की मातृभाषा के साथ राजनीति करना बंद करना होगा। सदानों को सोते रहने का ढोंग करना बंद करना होगा हमें अपने रौतिया जाती के साथ अपने सदान समाज को भी एकजुट करना होगा। हमारे समाज में जागरूकता का बहुत ज्यादा अभाव है, जागरूकता के अभाव के कारण ही हमारा समाज बहुत ज्यादा पिछड़ चुका है। समाज को जागरूक करना जरूरी है इत्यादि उक्त बाते कही गयी।
जिसमें मुख्य विषय था- समाजिक एकता को मजबुत करना समाज में भाईचारा बनाना, अपनी सदानी यानी सादरी भाषा संस्कृति का संरक्षण करना इत्यादि मुख्य विषय था जिस पर पहल किया जाएगा। श्री दिनेश सिंह ने कहा कि जिस तरह असम बंगाल में हम सदानों की भाषा संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा आदिवासी संगठनों के नेताओं द्वारा उसे देखते हुए हम सदानों को एकजुट होकर आगे आना होगा और हम सदानों की मातृभाषा के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना होगा,आदिवासी संगठनों के नेताओं को बार बार सादरी को आदिवासीयों का भाषा बताना बंद करना होगा,,, हमें बताना होगा कि सादरी आदिवासीयों की नहीं हम सदानों की मातृभाषा है और हम अपनी भाषा संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। हमारे सदान लोगों के साथ और सदानों की मातृभाषा के साथ राजनीति करना बंद करना होगा। सदानों को सोते रहने का ढोंग करना बंद करना होगा हमें अपने रौतिया जाती के साथ अपने सदान समाज को भी एकजुट करना होगा। हमारे समाज में जागरूकता का बहुत ज्यादा अभाव है, जागरूकता के अभाव के कारण ही हमारा समाज बहुत ज्यादा पिछड़ चुका है। समाज को जागरूक करना जरूरी है इत्यादि उक्त बाते कही गयी।
Comments
Post a Comment